मैं जब सफर पर निकलता हूँ तो सभी की तरह मेरा भी खुश होना लाजमी है।मंजिल जितनी सुहाती है उससे कहीं ज्यादा रास्ते ,और उनमें पड़ने वाले छोटे छोटे पड़ाव मन को सुहाते हैंl जो कई बार हमेशा के लिए यादगार बन जाते हैं।
ये चित्र में जो आप मंदिर देख रहे हैं ये उसी यादगार पल का हिस्सा है।अपने वाहन के होने का सबसे बड़ा लाभ यही है जब मन करे रूक जाओ, जब मन करे चल दो,जहाँ मन करे रुककर घण्टो अपने आसपास के माहौल को महसूस कर सकते हो।जैसे चाहो वैसे अपने सफर का आनन्द ले सकते हैं।
तो हुआ यूँ कि हम रात को अल्मोड़ा के सफर पर निकले सारी रात गाड़ी चलाकर सुबह भीमताल होते हुए कैंची धाम (बाबा नीब करौरी आश्रम) पहुँचे।स्नानादि से निवृत हो मंदिर में बाबा के दर्शन करके हल्का फुल्का नाश्ता कर के अपने आगे के सफर पर निकल पड़े।रात भर के जागे हुए थे तो नींद आना स्वाभाविक था।थकान भी होने लगी थी तो मन था कहीं रुककर थोड़ा आराम किया जाए।किसी सुंदर जगह की तलाश में बढ़ते रहे।जल्दी ही ऊपर वाले ने हमारी सुन ली।
खैरना(जहाँ से रानीखेत के लिए अलग रास्ता कट जाता है)के बाद पहाड़ों में भी बदलाव दिखाना शुरू हो जाता है।सड़क के बायें तरफ कोसी नदी साथ साथ बहती चलती है।ऊँचाई भी बढ़ती जाती है उसके साथ साथ नजारे भी खूबसूरत होते जाते हैं।भोवली से अल्मोड़ा रोड पर एक जगह पड़ती है गंगरकोट वहाँ पहाड़ी पर जवाहर नवोदय विद्यालय भी बना हुआ है।वहीं एक मोड़ पड़ता है मोड़ को पार करते हैं बायीं तरफ सड़क से नीचे की ओर एक मंदिर पर नजर गयी जो दूर से ही पहाड़ियों से घिरा हुआ बहुत सुंदर लग रहा था।
देखते ही बाँछें खिल गयीं।वहाँ तक पहुँचने के लिए हमें मुख्य सड़क से कुछ मीटर नीचे उतरना था।रास्ता कच्चा था पर गाड़ी के लायक था गाड़ी जा सकती थी।हमने उस रास्ते पर ही अपनी गाड़ी मोड़ दी और कुछ देर में मंदिर के सामने थे।जहाँ गाड़ी खड़ी की वहाँ से मंदिर का कुछ ये नजारा था जो आपके सामने है।
ये मेरे आराध्य हनुमानजी का मंदिर है साथ ही बहुत ही मनोरम जगह पर स्थित है पहाड़ियों से घिरा,बराबर घाटी में बहती नदी जिसकी कलकल की मधुर आवाज मंदिर तक सुनाई देती है ठंडी ठंडी बयार बहती है।
मंदिर के स्वच्छ व पवित्र प्रांगण में दो तीन घण्टे का समय कैसे बीत गया पता भी नहीं चला।जो आज तक हमारी यादों में संजोया हुआ है।आप भी ऐसी ही अनजानी अनछुई जगहों पर रुककर अपने सफर को मजेदार व यादगार बना सकते हैं।
ये चित्र में जो आप मंदिर देख रहे हैं ये उसी यादगार पल का हिस्सा है।अपने वाहन के होने का सबसे बड़ा लाभ यही है जब मन करे रूक जाओ, जब मन करे चल दो,जहाँ मन करे रुककर घण्टो अपने आसपास के माहौल को महसूस कर सकते हो।जैसे चाहो वैसे अपने सफर का आनन्द ले सकते हैं।
तो हुआ यूँ कि हम रात को अल्मोड़ा के सफर पर निकले सारी रात गाड़ी चलाकर सुबह भीमताल होते हुए कैंची धाम (बाबा नीब करौरी आश्रम) पहुँचे।स्नानादि से निवृत हो मंदिर में बाबा के दर्शन करके हल्का फुल्का नाश्ता कर के अपने आगे के सफर पर निकल पड़े।रात भर के जागे हुए थे तो नींद आना स्वाभाविक था।थकान भी होने लगी थी तो मन था कहीं रुककर थोड़ा आराम किया जाए।किसी सुंदर जगह की तलाश में बढ़ते रहे।जल्दी ही ऊपर वाले ने हमारी सुन ली।





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